दीपावली क्यों मनाई जाती है? इसका असली अर्थ और पौराणिक कारण, सरल भाषा में
दीपावली क्यों मनाई जाती है? इसका असली अर्थ और पौराणिक कारण, सरल भाषा में
परिचय
दीपावली, जिसे दिवाली भी कहते हैं, भारत का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध त्योहार है, जिसका इंतजार सभी उम्र के लोग पूरे साल करते हैं। यह पर्व सिर्फ रोशनी और मिठाइयों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई गहरे पौराणिक, सांस्कृतिक और सामाजिक अर्थ हैं।
दीपावली का पौराणिक महत्व
दीपावली मनाने की कई मान्यताएँ हैं, लेकिन सबसे प्रमुख कथा श्रीराम जी की अयोध्या वापसी से जुड़ी है। जब भगवान राम ने 14 वर्ष का वनवास और रावण पर विजय प्राप्त कर माता सीता और लक्ष्मण संग अयोध्या लौटे, तब अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। तभी से दीपों का त्योहार ‘दीपावली’ मनाए जाने की परंपरा शुरू हुई
इसके अलावा, दक्षिण भारत में यह भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर नामक राक्षस के वध की स्मृति में भी मनाई जाती है। पांडवों की हस्तिनापुर वापसी, देवी लक्ष्मी का प्राकट्य, भगवान महावीर का निर्वाण और गुरू हरगोबिंद जी की रिहाई के रूप में भी विभिन्न धर्मों द्वारा दीपावली को मनाया जाता है
| परंपरा | कथा/का
| श्रीराम की अयोध्या वापसी | रावण पर विजय, 14 वर्ष वनवास के बाद स्वागत [10] |
| लक्ष्मी पूजा | समुद्र मंथन से जन्म, धन-समृद्धि की देवी
कृष्ण-नरकासुर कथा| नरकासुर का वध, बुराई पर अच्छाई की जीत
| पांडव वापसी | 12 साल वनवास के बाद हस्तिनापुर आगमन
| काली पूजा | बंगाल-पूर्वी भारत में देवी काली की आराधना |
महावीर निर्वाण | जैन धर्म के संस्थापक महावीर स्वामी की मुक्ति
| गुरु हरगोबिंद सिंह | सिखों का बंदी छोड़ दिवस |
दीपावली का धार्मिक और सामाजिक अर्थ
दीपावली न सिर्फ एक पौराणिक पर्व है, बल्कि इसमें जीवन का गहरा संदेश छिपा है – ‘अंधकार से प्रकाश की ओर’, ‘अज्ञान से ज्ञान की ओर’, ‘बुराई से अच्छाई की ओर’। उपनिषदों के मंत्र ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ की भावना इस त्योहार में आत्मसात होती है। हालाँकि यह पर्व हिन्दुओं का माना जाता है, लेकिन जैन, बौद्ध, सिख आदि धर्म भी इसे अपने-अपने धार्मिक महत्त्व से जोड़कर मनाते हैं
दीपों का महत्व
कार्तिक मास की अमावस्या की रात बहुत अंधेरी होती है। उसे रोशन और उल्लासमय बनाने के लिए घर-घर दीपों की पंक्तियाँ सजाई जाती हैं। यह दीप उजाले के प्रतीक हैं – बाहरी और आंतरिक दोनों। दीप जलाने का अर्थ है अपने जीवन और मन के अंधकार को दूर करना, सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना
साफ-सफाई और शुभता
दीपावली से पहले हर घर, मोहल्ले, दुकान की साफ-सफाई, रंग-रोगन, सजावट की जाती है। यह पर्व स्वच्छता, सुंदरता और शुभता का संदेश भी देता है। घर को सजाना यानी नकारात्मकता को हटाकर सकारात्मकता का स्वागत करना। माना जाता है कि साफ-सुथरे घर में लक्ष्मी माता का आगमन होता है
पूजा और परंपराएँ
इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा होती है। पूजा के बाद मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं, गिफ्ट दिए जाते हैं, और घर-आँगन दीपों से सजा दिया जाता है। अलग-अलग राज्य व समुदाय अपनी पारंपरिक तरीकों से दिवाली को मनाते हैं – कहीं काली पूजा, कहीं गोवर्धन पूजा, कहीं बंधुजनों को गिफ्ट और रिश्तों की मिठास
बच्चों और युवाओं के लिए संदेश
दीपावली बच्चों के लिए भी शिक्षाप्रद है – यह बुराइयों से दूर रहने, ज्ञान व प्रकाश की ओर बढ़ने, रिश्तों की मिठास और प्रकृति की रक्षा का संदेश देती है। आजकल पर्यावरण हितैषी दीपावली मनाने का चलन बढ़ा है, जिससे पॉल्यूशन और हानि कम की जा सके
निष्कर्ष
दीपावली का असली अर्थ है – जीवन के हर अंधकार को उजाले में बदलना, बुराइयों को छोड़कर अच्छाइयों को अपनाना, और ज्ञान व प्रेम से ओतप्रोत रहना। यह त्योहार खुशियाँ, समृद्धि और भाईचारे का प्रतीक है। तो इस बार जब आप दीप जलाएँ, याद रखें कि सच्ची दीपावली वही है जो दिल और मन में उजास लाए।
FAQ/
1. दीपावली कब मनाई जाती है?
कार्तिक माह की अमावस्या को, अकसर अक्टूबर-नवंबर में आती है
2. दीपावली का असली अर्थ क्या है?
‘अंधकार पर प्रकाश की विजय’, ‘बुराई पर अच्छाई की जीत’, ‘अज्ञान पर ज्ञान की प्राप्ति’
3. किन-किन धर्म व समुदाय में दीपावली मनाई जाती है?
हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध समेत अनेक धर्म



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