"शक्ति उपासना का महापर्व: नवरात्रि के 9 दिन, देवी स्वरूप, व्रत नियम और पौष्टिक फलाहारी व्यंजन"

"शक्ति उपासना का महापर्व: नवरात्रि के 9 दिन, देवी स्वरूप, व्रत नियम और पौष्टिक फलाहारी व्यंजन"


नवरात्रि: नौ दिन, नौ देवियाँ, नौ उपवास के नियम

​नवरात्रि का प्रत्येक दिन एक विशिष्ट देवी स्वरूप को समर्पित है, जिसकी पूजा विशेष विधि से की जाती है। इन नौ दिनों में धार्मिक नियमों के साथ-साथ खान-पान और दिनचर्या का भी विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं प्रत्येक दिन के बारे में:

पहला दिन: माँ शैलपुत्री

समर्पण: यह दिन माँ दुर्गा के पहले स्वरूप, शैलपुत्री को समर्पित है, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। इनकी पूजा से आत्मविश्वास और स्थिरता आती है।

पूजा विधि: कलश स्थापना की जाती है और माँ शैलपुत्री की स्तुति की जाती है।

क्या खाएं: पहले दिन आप साबूदाना खिचड़ी, फल और दूध ले सकते हैं।

क्या न खाएं: अनाज, नमक, प्याज, लहसुन और सामान्य मसाले।

सोने और उठने का समय: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। रात में जल्दी सोने का प्रयास करें।

पहला दिन - माँ शैलपुत्री की छवि:


दूसरा दिन: माँ ब्रह्मचारिणी

समर्पण: माँ ब्रह्मचारिणी, तप और वैराग्य की देवी हैं। इनकी पूजा से संयम, तपस्या और त्याग की भावना जागृत होती है।

पूजा विधि: माँ ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें और उन्हें सफेद पुष्प अर्पित करें।

क्या खाएं: दूसरे दिन आप कुट्टू के आटे की रोटी या पूरी, दही और पनीर का सेवन कर सकते हैं।

क्या न खाएं: सभी सामान्य अनाज और मांसाहारी भोजन।

सोने और उठने का समय: पिछले दिन की तरह, सुबह जल्दी उठकर पूजा करें और रात को समय पर सो जाएं।

दूसरा दिन - माँ ब्रह्मचारिणी की छवि:


तीसरा दिन: माँ चंद्रघंटा

समर्पण: माँ चंद्रघंटा शांति और कल्याण की प्रतीक हैं। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है। इनकी पूजा से भय से मुक्ति मिलती है।

पूजा विधि: माँ चंद्रघंटा को पीले वस्त्र और पुष्प अर्पित करें।

क्या खाएं: तीसरे दिन आप सिंघाड़े के आटे का हलवा, केले और दूध ले सकते हैं।

क्या न खाएं: दालें, चावल और सामान्य नमक।

सोने और उठने का समय: अपनी दिनचर्या में सात्विक भाव रखें, जल्दी उठकर माँ की आराधना करें।

तीसरा दिन - माँ चंद्रघंटा की छवि:

चौथा दिन: माँ कूष्मांडा

समर्पण: माँ कूष्मांडा ब्रह्मांड की रचयिता हैं। अपनी हल्की सी हंसी से इन्होंने ब्रह्मांड की रचना की थी। इनकी पूजा से आरोग्य और तेज प्राप्त होता है।

पूजा विधि: माँ कूष्मांडा को हरे वस्त्र और हरे फल चढ़ाएं।

क्या खाएं: चौथे दिन आप आलू की सब्जी (सेंधा नमक में बनी), शकरकंद और फलों का जूस ले सकते हैं।

क्या न खाएं: फास्ट फूड और पैकेट बंद खाद्य पदार्थ।

सोने और उठने का समय: मानसिक शांति के लिए जल्दी सोएं और उठकर ध्यान करें।

चौथा दिन - माँ कूष्मांडा की छवि:


पांचवां दिन: माँ स्कंदमाता

समर्पण: माँ स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं। इनकी पूजा से संतान सुख और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि: माँ स्कंदमाता को लाल पुष्प और श्रृंगार का सामान अर्पित करें।

क्या खाएं: पांचवें दिन आप फलहारी पुलाव (समा के चावल से बना), दही और सूखे मेवे ले सकते हैं।

क्या न खाएं: लहसुन, प्याज और मांसाहारी भोजन।

सोने और उठने का समय: संतुलित दिनचर्या बनाए रखें, अच्छी नींद लें और सुबह ध्यान करें।

पांचवां दिन - माँ स्कंदमाता की छवि:


समर्पण: माँ कात्यायनी शक्ति और शौर्य की प्रतीक हैं। इन्होंने महिषासुर का वध किया था। इनकी पूजा से विवाह संबंधित बाधाएं दूर होती हैं।

पूजा विधि: माँ कात्यायनी को लाल रंग के पुष्प और मिष्ठान (जैसे लौकी का हलवा) अर्पित करें।

क्या खाएं: छठे दिन आप कुट्टू के आटे की कचौरी, पनीर की सब्जी और ताजे फल खा सकते हैं।

क्या न खाएं: शराब, तंबाकू और तामसिक भोजन।

सोने और उठने का समय: व्रत के दौरान मन शांत रखें, अच्छी नींद लें।

छठा दिन - माँ कात्यायनी की छवि:


सातवां दिन: माँ कालरात्रि

समर्पण: माँ कालरात्रि अंधकार और बुराई का नाश करने वाली देवी हैं। इनका स्वरूप भयानक है, लेकिन यह भक्तों को शुभ फल देती हैं।

पूजा विधि: माँ कालरात्रि को नीले वस्त्र और गुड़ का भोग लगाएं। इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ भी शुभ माना जाता है।

क्या खाएं: सातवें दिन आप कद्दू की सब्जी, राजगिरे के आटे की रोटी और फलों का सेवन कर सकते हैं।

क्या न खाएं: किसी भी प्रकार का अपवित्र भोजन।

सोने और उठने का समय: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। रात में पूजा और आरती के बाद समय पर सोएं।

सातवां दिन - माँ कालरात्रि की छवि:


आठवां दिन: माँ महागौरी

समर्पण: माँ महागौरी सौंदर्य, पवित्रता और शांति की प्रतीक हैं। इनकी पूजा से पापों से मुक्ति मिलती है।

पूजा विधि: माँ महागौरी को सफेद वस्त्र और चमेली के फूल अर्पित करें। इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है।

क्या खाएं: आठवें दिन आप कुट्टू के आटे की पूड़ी, चना और हलवा (सूजी की जगह सिंघाड़े के आटे का) का भोग लगाकर खा सकते हैं।

क्या न खाएं: उन चीजों का सेवन न करें जो पहले के दिनों में वर्जित थीं।

सोने और उठने का समय: अष्टमी के दिन विशेष पूजा और कन्या पूजन के कारण थोड़ा व्यस्त रह सकते हैं, फिर भी आराम का ध्यान रखें।

आठवां दिन - माँ महागौरी की छवि:


नौवां दिन: माँ सिद्धिदात्री

समर्पण: माँ सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी हैं। इनकी पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

पूजा विधि: माँ सिद्धिदात्री को बैंगनी या जामुनी वस्त्र और तिल का भोग लगाएं। हवन किया जाता है और व्रत का पारण किया जाता है।

क्या खाएं: नौवें दिन भी आप फल, दूध और फलाहारी भोजन ले सकते हैं। व्रत पारण के बाद सामान्य सात्विक भोजन ग्रहण करें।

क्या न खाएं: तामसिक भोजन और मांसाहार।

सोने और उठने का समय: व्रत के अंतिम दिन पूजा-अर्चना और हवन के बाद शांति से विश्राम करें।

नौवां दिन - माँ सिद्धिदात्री की छवि:

​आशा है यह विस्तृत जानकारी और हर दिन की छवि आपको नवरात्रि के पावन पर्व को और भी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाने में मदद करेगी। शुभ नवरात्रि!


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